नई दिल्ली. राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के अखिल भारतीय सह प्रचार प्रमुख
श्री जे नन्द कुमार जी ने कहा है कि अगर देश में वास्तविक अर्थों में सुराज
लाना है तो देवर्षि नारद के उज्जवल एवं स्पष्ट दर्शन के अनुरूप अपनी
कार्यप्रणाली निश्चित करनी ही पड़ेगी, क्योंकि परम ज्ञानी नारद का दर्शन अब
भी सुसंगत है.
दिल्ली में नारद जयंती एवं पत्रकार सम्मान समारोह में मुख्य वक्ता के तौर पर अपने ओजस्वी उद्बोधन में श्री नन्द कुमार जी ने भलीभांति सूचित-अवगत नागरिकों को किसी भी राष्ट्र की शक्ति बताया और नारद–युधिष्ठिर संवाद के हर बिंदु पर गहराई से अध्ययन व शोध करने की आवश्यकता पर जोर दिया. उन्होंने कहा कि इसकी सहायता से भविष्य में आगे बढ़ने की निश्चित रूप से दिशा मिलती है. उन्होंने यह भी कहा कि सभी क्षेत्रों में चाहे शिक्षा हो या उद्योग, इतिहास हो या अर्थशास्त्र, सब मोर्चों पर विदेशी नीतियाँ ही चलती हैं. अभी तक अपने नेतागण भारत का अपना मौलिक ढांचा खड़ा करने के लिये तैयार नहीं दिखाई दिये. अपने इतिहास एवं परम्पराओं से प्रेरणा पाकर अग्रसर होने को तैयार नहीं. दूसरी ओर, नारद जी ने सुराज के विषय में युधिष्ठिर से 123 सवाल पूछे. सबसे रोचक बात यह है कि युधिष्ठिर ने क्रम से उत्तर देने की जगह सब का उत्तर एक साथ दिया और यह सिद्ध कर दिया कि राजा ने सुशासन की दृष्टि से प्रत्येक पग नारद जी के आदेश व उपदेश के आधार पर ही उठाया है.
श्री नन्द कुमार जी ने कहा कि एक आदर्श पत्रकार में जो कुछ गुण चाहिये, वे सब नारद जी में दिखाई देते हैं. सबसे पहले स्थिति को गहराई से समझना. एक पत्रकार में कृत्यता एवं समग्रता चाहिये. सूचना की समीक्षा करने की सामर्थ्य भी चाहिये. इसके साथ सम्बंधित समस्त सूचनायें संकलित करना और उनका अध्ययन करना आवश्यक है. साथ ही अनुवर्ती घटनाक्रमों के विषय में कल्पना करने की क्षमता (पूर्वानुमान). सबसे महत्वपूर्ण पहलू, प्रस्तुत करने की शैली और ढंग है. इन सभी तथ्यों को मानकर एक पत्रकार को उपयुक्त रीति एवं सटीक शब्दों के साथ अपने कार्य में आगे बढ़ना चाहिये.
सह प्रचार प्रमुख ने संवाद संकलन को पवित्र कार्य मानने का परामर्श देते हुए कहा सर संघचालक पूज्य मोहन जी भागवत के पिछले वर्ष इंदौर के उद्बोधन में पश्चिमी अपसंस्कृति की आलोचना को गलत ढंग से प्रचारित कर कुछ समाचार पत्रों द्वारा बलात्कार से जोड़ा गया. यह गलत प्रमाणित होने पर खेद प्रकट या तो किया ही नहीं गया, या किया गया तो बहुत सामान्य से समाचार के रूप में. उन्होंने कहा कि रेटिंग या सर्कुलेशन बढ़ाने के लिये अवांछित युक्तियां अपनाना अच्छा नहीं है. साथ ही, एक पत्रकार को किसी भी हालत में, स्वार्थवश अथवा पैसे के लालच में हीन युक्तियों (डर्टी ट्रिक्स) से बचना चाहिये.
पैन केक इंटलेक्चुअलिज्म से भी उन्होंने बचने की सलाह देते हुए कहा कि अप्रमाणित समाचारों का बिना समुचित पुष्टि के प्रकाशित या प्रसारित नहीं किया जाना चाहिये. इस प्रकार की टेबिल न्यूज द्वारा अच्छे व्यक्तियों को घटिया प्रमाणित करना तथा बुराई का महिमामंडन किया जाता है. कश्मीर में शहीद कैप्टिन मनीष पीताम्बरे का उदाहरण देते हुए उन्होंने केवल रेटिंग बढ़ाने पर ही ध्यान और राष्ट्रहित परक समाचारों को कोई महत्व नहीं देने की प्रवृत्ति को छोड़ने पर जोर दिया. कैप्टिन पीताम्बरे ने आतंकियों से लोहा लेते हुए बलिदान दिया. चार आतंकवादी मारे भी गये. किन्तु इतने महत्वपूर्ण समाचार को न्यूजचैनलों में स्थान नहीं मिला, उसके स्थान पर दिन भर संजय दत्त छाया रहा.
समारोह को मुख्य अतिथि के रूप में सम्बोधित करते हुए न्यू इंडियन एक्सप्रेस के सम्पादकीय निदेशक श्री प्रभु चावला ने कहा कि राष्ट्रवादी पत्रकारिता के बिना भारत राष्ट्रवाद से अनुप्राणित नहीं हो सकता. उन्होंने केन्द्र में हुए वर्तमान सत्ता परिवर्तन को देश के लिये शुभ एवं आशाजनक बताते हुए कहा कि यह ध्यान रखना होगा कि सिर्फ इससे उद्देश्य को पूरी तरह हासिल नहीं किया जा सकता. स्वयंसेवक होने पर गौरव का अनुभव करते हुए श्री चावला ने कहा कि राष्ट्रवादी पत्रकारिता गंभीर चुनौतियों और समस्याओं से जूझ रही है. ऐसी स्थिति में संघ को राष्ट्रवादी पत्रकारिता के विकास के लिये आगे आना होगा. उन्होंने सराहना करते हुए कहा कि विश्व संवाद केन्द्र नारद जयंती समारोहों की राष्ट्रव्यापी आयोजन श्रृंखला के माध्यम से पहले ही इस दिशा में कदम उठा चुका है.
इस अवसर पर तीन राष्ट्रवादी पत्रकारों को उनकी उत्कृष्ट सेवाओं के लिये सम्मानित किया गया. डिफेंस मॉनिटर के सम्पादक श्री सुशील शर्मा, सोशल मीडिया के क्षेत्र में असाधारण योगदान के लिये श्री मोती लाल जी गुप्ता और वरिष्ठ पत्रकार श्री राकेश शर्मा को शॉल, पुष्प गुच्छ, स्मृति चिन्ह और हार पहनाकर सम्मानित किया गया. श्री सुशील शर्मा जी ने अपने करियर की शुरुआत दैनिक हिन्दुस्तान से की थी, हिन्दुस्तान से त्यागपत्र देने के बाद सुशील जी ने अपनी पत्रिका ‘डिफेंस मॉनिटर’ का प्रकाशन आरम्भ किया. यह रक्षा, सुरक्षा, राजनय, एरोस्पेस आदि विषयों पर हिन्दी में अपनी तरह की पहली पत्रिका है. दूरदर्शन के लिये उन्होंने 36 डाक्यूमेंट्री फिल्में बनाई हैं, जिनमें पाकिस्तान की दुर्दशा को उजागर करने वाली आईना, हकीकते पाकिस्तान तथा 1971 के युद्ध पर ‘71 की कहानी, वीरों की जुबानी’ . श्री सुशील वर्तमान में समाचार पोर्टल ‘भारत डिफेंस कवच’ का भी संपादन कर रहे हैं.
श्री मोती लाल गुप्ता चार वर्ष पूर्व यूरोप, कनाडा व एशिया के 35 देशों में फैले विस्तृत करोबार से संन्यास लेकर स्वदेश लौटने पर पूरी तरह सामाजिक कार्यों में लग गये. वे राष्ट्रीय, सामाजिक एवं धार्मिक विषयों पर प्रतिदिन आठ हजार ईमेल भेज कर भारतीय मूल्यों व परम्पराओं से अवगत कराने का काम कर रहे हैं. उन्होंने सम्मान के प्रति आभार व्यक्त करते हुए निज भाषा, संस्कृति और देश की समृद्ध सम्पदा पर अभिमान करने का परामर्श दिया.
वरिष्ठ पत्रकार श्री राकेश शर्मा जी का विभिन्न भारतीय मीडिया, प्रिंट उद्योग, अखबारों की गतिविधियों का 25 वर्षों का गहन अध्ययन और अनुभव है. उन्होंने स्वदेश समाचार पत्र में 1988 से 1995 तक विशेष संवादाता तथा क्षेत्रीय प्रबंधक का दायित्व निभाया.
समारोह में अध्यक्षीय भाषण देते हुए केन्द्र के अध्यक्ष श्री अशोक सचदेवा ने पत्रकारों से नारद जी की भूमिका निभाने का आह्वान किया. उन्होंने कहा कि नारद जी ईश्वरत्व से पहचान का और उनकी ओर आगे बढ़ने का रास्ता बताते हैं, जो वास्तव में मनुष्य जीवन का लक्ष्य है. आज यह दायित्व हमारे पत्रकार मित्रों का है. मेरा विश्वास है कि इस आयोजन से निश्चित ही हमारी गौरवशाली अतीत की स्मृतियां ताजा होंगीं, जिनसे हमारी सांस्कृतिक परम्परा को अग्रसर होने में गति मिलेगी. कार्यक्रम का कुशल संचालन केन्द्र के सचिव श्री वागीश ईसर ने किया.
समारोह में संघ के उत्तर क्षेत्र के प्रचार प्रमुख श्री नरेन्द्र ठाकुर, संघ के दिल्ली प्रांत के प्रचार प्रमुख श्री राजीव तुली, राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के उत्तर क्षेत्र के सह कार्यवाह श्री विजय कुमार जी, संघ के विश्व विभाग के श्री अनिल वर्तक जी, हिन्दुस्थान समाचार के श्री लक्ष्मीनारायण भाला जी, राजनेता श्री सुनील शास्त्री जी, हरियाणा के प्रान्त प्रचार प्रमुख श्री अनिल जी की उपस्थिति उल्लेखनीय थी
दिल्ली में नारद जयंती एवं पत्रकार सम्मान समारोह में मुख्य वक्ता के तौर पर अपने ओजस्वी उद्बोधन में श्री नन्द कुमार जी ने भलीभांति सूचित-अवगत नागरिकों को किसी भी राष्ट्र की शक्ति बताया और नारद–युधिष्ठिर संवाद के हर बिंदु पर गहराई से अध्ययन व शोध करने की आवश्यकता पर जोर दिया. उन्होंने कहा कि इसकी सहायता से भविष्य में आगे बढ़ने की निश्चित रूप से दिशा मिलती है. उन्होंने यह भी कहा कि सभी क्षेत्रों में चाहे शिक्षा हो या उद्योग, इतिहास हो या अर्थशास्त्र, सब मोर्चों पर विदेशी नीतियाँ ही चलती हैं. अभी तक अपने नेतागण भारत का अपना मौलिक ढांचा खड़ा करने के लिये तैयार नहीं दिखाई दिये. अपने इतिहास एवं परम्पराओं से प्रेरणा पाकर अग्रसर होने को तैयार नहीं. दूसरी ओर, नारद जी ने सुराज के विषय में युधिष्ठिर से 123 सवाल पूछे. सबसे रोचक बात यह है कि युधिष्ठिर ने क्रम से उत्तर देने की जगह सब का उत्तर एक साथ दिया और यह सिद्ध कर दिया कि राजा ने सुशासन की दृष्टि से प्रत्येक पग नारद जी के आदेश व उपदेश के आधार पर ही उठाया है.
श्री नन्द कुमार जी ने कहा कि एक आदर्श पत्रकार में जो कुछ गुण चाहिये, वे सब नारद जी में दिखाई देते हैं. सबसे पहले स्थिति को गहराई से समझना. एक पत्रकार में कृत्यता एवं समग्रता चाहिये. सूचना की समीक्षा करने की सामर्थ्य भी चाहिये. इसके साथ सम्बंधित समस्त सूचनायें संकलित करना और उनका अध्ययन करना आवश्यक है. साथ ही अनुवर्ती घटनाक्रमों के विषय में कल्पना करने की क्षमता (पूर्वानुमान). सबसे महत्वपूर्ण पहलू, प्रस्तुत करने की शैली और ढंग है. इन सभी तथ्यों को मानकर एक पत्रकार को उपयुक्त रीति एवं सटीक शब्दों के साथ अपने कार्य में आगे बढ़ना चाहिये.
सह प्रचार प्रमुख ने संवाद संकलन को पवित्र कार्य मानने का परामर्श देते हुए कहा सर संघचालक पूज्य मोहन जी भागवत के पिछले वर्ष इंदौर के उद्बोधन में पश्चिमी अपसंस्कृति की आलोचना को गलत ढंग से प्रचारित कर कुछ समाचार पत्रों द्वारा बलात्कार से जोड़ा गया. यह गलत प्रमाणित होने पर खेद प्रकट या तो किया ही नहीं गया, या किया गया तो बहुत सामान्य से समाचार के रूप में. उन्होंने कहा कि रेटिंग या सर्कुलेशन बढ़ाने के लिये अवांछित युक्तियां अपनाना अच्छा नहीं है. साथ ही, एक पत्रकार को किसी भी हालत में, स्वार्थवश अथवा पैसे के लालच में हीन युक्तियों (डर्टी ट्रिक्स) से बचना चाहिये.
पैन केक इंटलेक्चुअलिज्म से भी उन्होंने बचने की सलाह देते हुए कहा कि अप्रमाणित समाचारों का बिना समुचित पुष्टि के प्रकाशित या प्रसारित नहीं किया जाना चाहिये. इस प्रकार की टेबिल न्यूज द्वारा अच्छे व्यक्तियों को घटिया प्रमाणित करना तथा बुराई का महिमामंडन किया जाता है. कश्मीर में शहीद कैप्टिन मनीष पीताम्बरे का उदाहरण देते हुए उन्होंने केवल रेटिंग बढ़ाने पर ही ध्यान और राष्ट्रहित परक समाचारों को कोई महत्व नहीं देने की प्रवृत्ति को छोड़ने पर जोर दिया. कैप्टिन पीताम्बरे ने आतंकियों से लोहा लेते हुए बलिदान दिया. चार आतंकवादी मारे भी गये. किन्तु इतने महत्वपूर्ण समाचार को न्यूजचैनलों में स्थान नहीं मिला, उसके स्थान पर दिन भर संजय दत्त छाया रहा.
समारोह को मुख्य अतिथि के रूप में सम्बोधित करते हुए न्यू इंडियन एक्सप्रेस के सम्पादकीय निदेशक श्री प्रभु चावला ने कहा कि राष्ट्रवादी पत्रकारिता के बिना भारत राष्ट्रवाद से अनुप्राणित नहीं हो सकता. उन्होंने केन्द्र में हुए वर्तमान सत्ता परिवर्तन को देश के लिये शुभ एवं आशाजनक बताते हुए कहा कि यह ध्यान रखना होगा कि सिर्फ इससे उद्देश्य को पूरी तरह हासिल नहीं किया जा सकता. स्वयंसेवक होने पर गौरव का अनुभव करते हुए श्री चावला ने कहा कि राष्ट्रवादी पत्रकारिता गंभीर चुनौतियों और समस्याओं से जूझ रही है. ऐसी स्थिति में संघ को राष्ट्रवादी पत्रकारिता के विकास के लिये आगे आना होगा. उन्होंने सराहना करते हुए कहा कि विश्व संवाद केन्द्र नारद जयंती समारोहों की राष्ट्रव्यापी आयोजन श्रृंखला के माध्यम से पहले ही इस दिशा में कदम उठा चुका है.
इस अवसर पर तीन राष्ट्रवादी पत्रकारों को उनकी उत्कृष्ट सेवाओं के लिये सम्मानित किया गया. डिफेंस मॉनिटर के सम्पादक श्री सुशील शर्मा, सोशल मीडिया के क्षेत्र में असाधारण योगदान के लिये श्री मोती लाल जी गुप्ता और वरिष्ठ पत्रकार श्री राकेश शर्मा को शॉल, पुष्प गुच्छ, स्मृति चिन्ह और हार पहनाकर सम्मानित किया गया. श्री सुशील शर्मा जी ने अपने करियर की शुरुआत दैनिक हिन्दुस्तान से की थी, हिन्दुस्तान से त्यागपत्र देने के बाद सुशील जी ने अपनी पत्रिका ‘डिफेंस मॉनिटर’ का प्रकाशन आरम्भ किया. यह रक्षा, सुरक्षा, राजनय, एरोस्पेस आदि विषयों पर हिन्दी में अपनी तरह की पहली पत्रिका है. दूरदर्शन के लिये उन्होंने 36 डाक्यूमेंट्री फिल्में बनाई हैं, जिनमें पाकिस्तान की दुर्दशा को उजागर करने वाली आईना, हकीकते पाकिस्तान तथा 1971 के युद्ध पर ‘71 की कहानी, वीरों की जुबानी’ . श्री सुशील वर्तमान में समाचार पोर्टल ‘भारत डिफेंस कवच’ का भी संपादन कर रहे हैं.
श्री मोती लाल गुप्ता चार वर्ष पूर्व यूरोप, कनाडा व एशिया के 35 देशों में फैले विस्तृत करोबार से संन्यास लेकर स्वदेश लौटने पर पूरी तरह सामाजिक कार्यों में लग गये. वे राष्ट्रीय, सामाजिक एवं धार्मिक विषयों पर प्रतिदिन आठ हजार ईमेल भेज कर भारतीय मूल्यों व परम्पराओं से अवगत कराने का काम कर रहे हैं. उन्होंने सम्मान के प्रति आभार व्यक्त करते हुए निज भाषा, संस्कृति और देश की समृद्ध सम्पदा पर अभिमान करने का परामर्श दिया.
वरिष्ठ पत्रकार श्री राकेश शर्मा जी का विभिन्न भारतीय मीडिया, प्रिंट उद्योग, अखबारों की गतिविधियों का 25 वर्षों का गहन अध्ययन और अनुभव है. उन्होंने स्वदेश समाचार पत्र में 1988 से 1995 तक विशेष संवादाता तथा क्षेत्रीय प्रबंधक का दायित्व निभाया.
समारोह में अध्यक्षीय भाषण देते हुए केन्द्र के अध्यक्ष श्री अशोक सचदेवा ने पत्रकारों से नारद जी की भूमिका निभाने का आह्वान किया. उन्होंने कहा कि नारद जी ईश्वरत्व से पहचान का और उनकी ओर आगे बढ़ने का रास्ता बताते हैं, जो वास्तव में मनुष्य जीवन का लक्ष्य है. आज यह दायित्व हमारे पत्रकार मित्रों का है. मेरा विश्वास है कि इस आयोजन से निश्चित ही हमारी गौरवशाली अतीत की स्मृतियां ताजा होंगीं, जिनसे हमारी सांस्कृतिक परम्परा को अग्रसर होने में गति मिलेगी. कार्यक्रम का कुशल संचालन केन्द्र के सचिव श्री वागीश ईसर ने किया.
समारोह में संघ के उत्तर क्षेत्र के प्रचार प्रमुख श्री नरेन्द्र ठाकुर, संघ के दिल्ली प्रांत के प्रचार प्रमुख श्री राजीव तुली, राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के उत्तर क्षेत्र के सह कार्यवाह श्री विजय कुमार जी, संघ के विश्व विभाग के श्री अनिल वर्तक जी, हिन्दुस्थान समाचार के श्री लक्ष्मीनारायण भाला जी, राजनेता श्री सुनील शास्त्री जी, हरियाणा के प्रान्त प्रचार प्रमुख श्री अनिल जी की उपस्थिति उल्लेखनीय थी
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